| تعداد آیه | حزب | جزء | صفحهی شروع | محل سوره |
|---|---|---|---|---|
| 11 | 120 | 30 | 599 | مكه |
साक्षी है जो हाँफते-फुँकार मारते हुए दौड़ते है, ١ फिर ठोकरों से चिनगारियाँ निकालते है, ٢ फिर सुबह सवेरे धावा मारते होते है, ٣ उसमें उठाया उन्होंने गर्द-गुबार ٤ और इसी हाल में वे दल में जा घुसे ٥ निस्संदेह मनुष्य अपने रब का बड़ा अकृतज्ञ हैं, ٦ और निश्चय ही वह स्वयं इसपर गवाह है! ٧ और निश्चय ही वह धन के मोह में बड़ा दृढ़ है ٨ तो क्या वह जानता नहीं जब उगवला लिया जाएगा तो क़ब्रों में है ٩ और स्पष्ट अनावृत्त कर दिया जाएगा तो कुछ सीनों में है ١٠ निस्संदेह उनका रब उस दिन उनकी पूरी ख़बर रखता होगा ١١