| تعداد آیه | حزب | جزء | صفحهی شروع | محل سوره |
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| 5 | 120 | 30 | 604 | مكه |
कहो, "मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की, ١ जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से, ٢ और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए, ٣ और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से, ٤ और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।" ٥