| تعداد آیه | حزب | جزء | صفحهی شروع | محل سوره |
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| 55 | 106 | 27 | 528 | مكه |
वह घड़ी निकट और लगी और चाँद फट गया; ١ किन्तु हाल यह है कि यदि वे कोई निशानी देख भी लें तो टाल जाएँगे और कहेंगे, "यह तो जादू है, पहले से चला आ रहा है!" ٢ उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का अनुसरण किया; किन्तु हर मामले के लिए एक नियत अवधि है। ٣ उनके पास अतीत को ऐसी खबरें आ चुकी है, जिनमें ताड़ना अर्थात पूर्णतः तत्वदर्शीता है। ٤ किन्तु चेतावनियाँ उनके कुछ काम नहीं आ रही है! - ٥ अतः उनसे रुख़ फेर लो - जिस दिन पुकारनेवाला एक अत्यन्त अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा; ٦ वे अपनी झुकी हुई निगाहों के साथ अपनी क्रबों से निकल रहे होंगे, मानो वे बिखरी हुई टिड्डियाँ है; ٧ दौड़ पड़ने को पुकारनेवाले की ओर। इनकार करनेवाले कहेंगे, "यह तो एक कठिन दिन है!" ٨ उनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया। उन्होंने हमारे बन्दे को झूठा ठहराया और कहा, "यह तो दीवाना है!" और वह बुरी तरह झिड़का गया ٩ अन्त में उसने अपने रब को पुकारा कि "मैं दबा हुआ हूँ। अब तू बदला ले।" ١٠ तब हमने मूसलाधार बरसते हुए पानी से आकाश के द्वार खोल दिए; ١١ और धरती को प्रवाहित स्रोतों में परिवर्तित कर दिया, और सारा पानी उस काम के लिए मिल गया जो नियत हो चुका था ١٢ और हमने उसे एक तख़्तों और कीलोंवाली (नौका) पर सवार किया, ١٣ जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई। ١٤ हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ दिया; फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ١٥ फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे? ١٦ और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत करनेवाला? ١٧ आद ने भी झुठलाया, फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरा डराना? ١٨ निश्चय ही हमने एक निरन्तर अशुभ दिन में तेज़ प्रचंड ठंडी हवा भेजी, उसे उनपर मुसल्लत कर दिया, तो वह लोगों को उखाड़ फेंक रही थी ١٩ मानो वे उखड़े खजूर के तने हो ٢٠ फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे? ٢١ और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ٢٢ समूद ने चेतावनियों को झुठलाया; ٢٣ और कहने लगे, "एक अकेला आदमी, जो हम ही में से है, क्या हम उसके पीछे चलेंगे? तब तो वास्तव में हम गुमराही और दीवानापन में पड़ गए! ٢٤ "क्या हमारे बीच उसी पर अनुस्मृति उतारी है? नहीं, बल्कि वह तो परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।" ٢٥ "कल को ही वे जान लेंगे कि कौन परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है। ٢٦ हम ऊँटनी को उनके लिए परीक्षा के रूप में भेज रहे है। अतः तुम उन्हें देखते जाओ और धैर्य से काम लो ٢٧ "और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। हर एक पीने की बारी पर बारीवाला उपस्थित होगा।" ٢٨ अन्ततः उन्होंने अपने साथी को पुकारा, तो उसने ज़िम्मा लिया फिर उसने उसकी कूचें काट दी ٢٩ फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे? ٣٠ हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए ٣١ हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ٣٢ लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया ٣٣ हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी। ٣٤ हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते है जो कृतज्ञता दिखाए ٣٥ उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे ٣٦ उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!" ٣٧ सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची, ٣٨ "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!" ٣٩ और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ٤٠ और फ़िरऔनियों के पास चेतावनियाँ आई; ٤١ उन्होंने हमारी सारी निशानियों को झुठला दिया। अन्ततः हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार एक ज़बरदस्त प्रभुत्वशाली पकड़ता है ٤٢ क्या तुम्हारे काफ़िर कुछ उन लोगो से अच्छे है या किताबों में तुम्हारे लिए कोई छुटकारा लिखा हुआ है? ٤٣ या वे कहते है, "और हम मुक़ाबले की शक्ति रखनेवाले एक जत्था है?" ٤٤ शीघ्र ही वह जत्था पराजित होकर रहेगा और वे पीठ दिखा जाएँगे ٤٥ नहीं, बल्कि वह घड़ी है, जिसका समय उनके लिए नियत है और वह बड़ी आपदावाली और कटु घड़ी है! ٤٦ निस्संदेह, अपराधी लोग गुमराही और दीवानेपन में पड़े हुए है ٤٧ जिस दिन वे अपने मुँह के बल आग में घसीटे जाएँगे, "चखो मज़ा आग की लपट का!" ٤٨ निश्चय ही हमने हर चीज़ एक अंदाज़े के साथ पैदा की है ٤٩ और हमारा आदेश (और काम) तो बस एक दम की बात होती है जैसे आँख का झपकना ٥٠ और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? ٥١ जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है ٥٢ और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है ٥٣ निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ो और नहरों के बीच होंगे, ٥٤ प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट ٥٥